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कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 1a

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बंदहुं राम जो पूरण ब्रह्म है, वे ही त्रिलोकी के ईश कहावें | श्री गुरु राह कृपामय हो, हम पै नजरे, गुण को नित गावें || शारद शेष महेश नमो, बलिहारी गणेश हमेश मनावें | बुद्धि प्रकाश करो घट भीतर, कृष्ण-सुदामा चरित्र बनावें || राम राम जप बावरे साधन यही विवेक |

                        इस साधन की ओट से तर गए भक्त अनेक ||

परम सनेही राम प्रिय सुप्रिय गुरु महाराज |

                       चरण परहूँ कर जोर कर वन्दहु  संत समाज ||

प्रभु चरित्र में चित रचे जन्म-जन्म यही काम |

                          भक्ति सदा सत्संग उर कृपा करहुं श्रीराम ||   

बंदहु संकर-सुत हरखि मंगल मयी महेश |

                          सकल सृष्टि पूजन करे तुमरी सदा गणेश ||

नमन करत हूं शारदा सकल गुणन की खान |

               नमहूँ सुकवि पुनि देव सब चरण कमल से ध्यान ||

प्रभु चरित्र आनंद अति रुचिकर करहूं बखान |

                        जाहि सुने चित देय  नर पावत पद निर्वाण ||

लिखूं सुदामा की कथा यथा बुद्धि है मोर | करहूं कृपा शिवदीन पर नागर नन्दकिशोर ||