"कृष्ण सुदामा चरित्र / शिवदीन राम जोशी / पृष्ठ 2" के अवतरणों में अंतर
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− | + | पत्नि भी पतिव्रता थी घर | | |
− | + | कुछ किस्सा उनका बयां करू, | |
− | + | छांया दारिद्र की घर पर थी, | |
+ | वो भगवत रूप परायण थे, | ||
+ | आशा उन्हीं पर निर्भर थी | | ||
+ | थी बुद्धिमती पतिव्रता वाम, | ||
+ | गुणवान चतुर सुन्दर नारी, | ||
+ | पति इच्छा अनुकूल चले, | ||
+ | थी श्रीपति को अतिशय प्यारी | | ||
+ | वो दुःख सुख सभी भोगती थी, | ||
+ | पर बात न जिह्वा पर आती, | ||
+ | नित मीठे बैन बोलती थी, | ||
+ | नहीं ध्यान बुरा दिल पर लाती | | ||
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+ | '''पति -पत्नी वार्ता''' | ||
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+ | इक रोज कहा कर जोर दोऊ, | ||
+ | पति भूख से प्राण निकलते हैं, | ||
+ | छोटे-छोटे छौना मोरे, | ||
+ | बिन अन जल के कर मलते हैं | | ||
+ | यह दशा देख अकुलाय रही, | ||
+ | नहीं बच्चों को भी रोटी है, | ||
+ | रह सकते नहीं प्राण इनके, | ||
+ | अति कोमल है,वय छोटी हैं | | ||
+ | इसलिए कृपा कर प्राणनाथ, | ||
+ | तुम नमन करो अविनाशी को, | ||
+ | मत करो देर, बस जाय कहो, | ||
+ | सब हाल द्वारिका वासी को | | ||
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21:22, 10 सितम्बर 2020 के समय का अवतरण
परिचय और स्थिति
भक्त सुदामा ब्रह्मण थे,
रहते थे देश विदर्भ नगर,
मीत प्रभु के सच्चे थे,
पत्नि भी पतिव्रता थी घर |
कुछ किस्सा उनका बयां करू,
छांया दारिद्र की घर पर थी,
वो भगवत रूप परायण थे,
आशा उन्हीं पर निर्भर थी |
थी बुद्धिमती पतिव्रता वाम,
गुणवान चतुर सुन्दर नारी,
पति इच्छा अनुकूल चले,
थी श्रीपति को अतिशय प्यारी |
वो दुःख सुख सभी भोगती थी,
पर बात न जिह्वा पर आती,
नित मीठे बैन बोलती थी,
नहीं ध्यान बुरा दिल पर लाती |
पति -पत्नी वार्ता
इक रोज कहा कर जोर दोऊ,
पति भूख से प्राण निकलते हैं,
छोटे-छोटे छौना मोरे,
बिन अन जल के कर मलते हैं |
यह दशा देख अकुलाय रही,
नहीं बच्चों को भी रोटी है,
रह सकते नहीं प्राण इनके,
अति कोमल है,वय छोटी हैं |
इसलिए कृपा कर प्राणनाथ,
तुम नमन करो अविनाशी को,
मत करो देर, बस जाय कहो,
सब हाल द्वारिका वासी को |