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"कैसे मुझे संभालोगे! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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[[Category:गीत]]
 
<poem>
 
 
कैसे मुझे संभालोगे!
 
मेरी आग बुझाने में तुम हाथ जला लोगे
 
 
 
क्या फुहार सावन की हलकी
 
प्यास बुझा सकती मरुथल की
 
ज्वाला यह बूँदों से जल की
 
और उछालोगे
 
 
 
शिशु जो सभी खेल है त्यागे
 
तुमसे बस तुमको ही माँगे
 
कैसे राजभोग रख आगे
 
उसको टालोगे!
 
 
 
क्या मैं करूँ खिलौने लेकर
 
टूट रहे हैं जो पल-पल पर!
 
वह वंशी दो, सुन जिसके स्वर
 
तुम अपना लोगे
 
 
कैसे मुझे संभालोगे!
 
मेरी आग बुझाने में तुम हाथ जला लोगे
 
<poem>
 

01:40, 20 जुलाई 2011 के समय का अवतरण