भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कोई हैं जो / अज्ञेय

Kavita Kosh से
Dkspoet (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 16:56, 9 अगस्त 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अज्ञेय |संग्रह=पहले मैं सन्नाटा ब...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 कोई हैं
जो अतीत में जीते हैं :
भाग्यवान् हैं वे, क्यों कि उन्हें कभी कुछ नहीं होगा।
कोई हैं
जो भविष्य में जीते हैं :
भाग्वान् हैं वे, क्यों कि वे आगे देखते ही चुक जाएँगे।
कोई हैं जो-
पर जो इस खोज में, इस प्रतीक्षा में हैं
कि वर्तमान हो जाए-
वे कहाँ हैं, किस में जीते हैं?
वर्तमान-निरन्तर होता हुआ
क्या वह अपने को पाता है?
या कि घूमता ही जाता है?
और मैं-कहाँ है वह पकड़ कि मैं अस्ति को झँझोड़ लूँ...

8 अक्टूबर, 1970