"कौना दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ / धरीक्षण मिश्र" के अवतरणों में अंतर
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=धरीक्षण मिश्र |संग्रह= }} {{KKCatKavita}} [[Cat...' के साथ नया पन्ना बनाया) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 15: | पंक्ति 15: | ||
बेटी के जनम बा बवाल भैल भारत में | बेटी के जनम बा बवाल भैल भारत में | ||
एही दुखें डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥1॥ | एही दुखें डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥1॥ | ||
+ | |||
दिल्ली का गद्दी पर बैठल मेहरारुवे बा | दिल्ली का गद्दी पर बैठल मेहरारुवे बा | ||
ओही के बाटे उहाँ चलत परधनियाँ । | ओही के बाटे उहाँ चलत परधनियाँ । | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 24: | ||
एहू तिरिया राज में ना सुख भैल बेटिन का | एहू तिरिया राज में ना सुख भैल बेटिन का | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥2॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥2॥ | ||
+ | |||
एके दू कौर खा के रातो दिन रहे के परी | एके दू कौर खा के रातो दिन रहे के परी | ||
देहि के जरावे लगी भूखि के अगिनियाँ । | देहि के जरावे लगी भूखि के अगिनियाँ । | ||
पंक्ति 31: | पंक्ति 33: | ||
एही तरे केतने महीना ले रहे के परी | एही तरे केतने महीना ले रहे के परी | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥3॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥3॥ | ||
+ | |||
जाँचे के हमार मन सासु धरि दीहें कबें | जाँचे के हमार मन सासु धरि दीहें कबें | ||
हमरा बिछौना तर लड्डू और बुनियाँ । | हमरा बिछौना तर लड्डू और बुनियाँ । | ||
पंक्ति 36: | पंक्ति 39: | ||
उल्टे घुमाई लोग हमरे पर घनियाँ । | उल्टे घुमाई लोग हमरे पर घनियाँ । | ||
हँसि हँसी के बानी कहीं बिगिहें जेठानी आ | हँसि हँसी के बानी कहीं बिगिहें जेठानी आ | ||
− | सासु कहि दीहें ई | + | सासु कहि दीहें ई तऽ बड़ी बा चटनियाँ । |
हमरा सफाई के रही ना सुनवाई कहीं | हमरा सफाई के रही ना सुनवाई कहीं | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥4॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥4॥ | ||
+ | |||
ओठर सासु दीहें कि एकरा नैहरवा से | ओठर सासु दीहें कि एकरा नैहरवा से | ||
आइल कबें ना तनि ढ़ंग से करनियाँ । | आइल कबें ना तनि ढ़ंग से करनियाँ । | ||
पंक्ति 47: | पंक्ति 51: | ||
जानि गैनी एकरा से घर ना हमार चली | जानि गैनी एकरा से घर ना हमार चली | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥5॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥5॥ | ||
+ | |||
आजु जात बानी बन्द होखे एक जेल बीच | आजु जात बानी बन्द होखे एक जेल बीच | ||
जेलर जहाँ के सासु ननदि आ जेठनियाँ । | जेलर जहाँ के सासु ननदि आ जेठनियाँ । | ||
पंक्ति 55: | पंक्ति 60: | ||
कौनो अदालत सुनी एकर अपील नाहीं | कौनो अदालत सुनी एकर अपील नाहीं | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥6॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥6॥ | ||
+ | |||
चोरी चुँगुलाई हम आजु ले न कैनी कहीं | चोरी चुँगुलाई हम आजु ले न कैनी कहीं | ||
तुरनी ना कौनो सरकार के कनुनियाँ । | तुरनी ना कौनो सरकार के कनुनियाँ । | ||
पंक्ति 63: | पंक्ति 69: | ||
बेकसूर हम के दियात जेल बाटे आजु | बेकसूर हम के दियात जेल बाटे आजु | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥7॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥7॥ | ||
+ | |||
काल कोठरी समान होई जेल खाना उहाँ | काल कोठरी समान होई जेल खाना उहाँ | ||
जहाँ पैसि पाई ना प्रकाश के किरिनियाँ । | जहाँ पैसि पाई ना प्रकाश के किरिनियाँ । | ||
पंक्ति 71: | पंक्ति 78: | ||
चौकठ का भीतरे रहे के परी आठो घरी | चौकठ का भीतरे रहे के परी आठो घरी | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥8॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥8॥ | ||
+ | |||
लेबे के साँस ना बतास ताजा पाइबि हम | लेबे के साँस ना बतास ताजा पाइबि हम | ||
ओढ़े के परिहें कई पर्त के ओढ़नियाँ । | ओढ़े के परिहें कई पर्त के ओढ़नियाँ । | ||
पंक्ति 79: | पंक्ति 87: | ||
केकर जबाब कौन कैसे दे पाइबि हम | केकर जबाब कौन कैसे दे पाइबि हम | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥9॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥9॥ | ||
+ | |||
हम के सौंपि देले बा माई बाप जेकरा के | हम के सौंपि देले बा माई बाप जेकरा के | ||
जेकर रहे के बाटे बनि के परनियाँ । | जेकर रहे के बाटे बनि के परनियाँ । | ||
पंक्ति 87: | पंक्ति 96: | ||
केहू कही अब्बे से आपन ई चीन्हे लगलि | केहू कही अब्बे से आपन ई चीन्हे लगलि | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥10॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥10॥ | ||
+ | |||
छूटि जात बाटे आजु हमरा से माई बाप | छूटि जात बाटे आजु हमरा से माई बाप | ||
छूटि जात बाटे आजु भाई आ बहिनियाँ । | छूटि जात बाटे आजु भाई आ बहिनियाँ । | ||
पंक्ति 95: | पंक्ति 105: | ||
माई और बाप के रोवाई बा न बन्द होत | माई और बाप के रोवाई बा न बन्द होत | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥11॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥11॥ | ||
+ | |||
बखरा हमार पिता देले जे दहेज मानि | बखरा हमार पिता देले जे दहेज मानि | ||
किन्तु बाटे ऐसन समाज के चलनियाँ । | किन्तु बाटे ऐसन समाज के चलनियाँ । | ||
पंक्ति 103: | पंक्ति 114: | ||
लूटे आ लूटावे के हमरे धन, बाटे इहे | लूटे आ लूटावे के हमरे धन, बाटे इहे | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥12॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥12॥ | ||
+ | |||
बाप और दादा जौन सम्पति कमाइ गैले | बाप और दादा जौन सम्पति कमाइ गैले | ||
औरी जे छोड़ि गैले उनहूँ के पुरनियाँ । | औरी जे छोड़ि गैले उनहूँ के पुरनियाँ । | ||
− | सगरी दियाइल | + | सगरी दियाइल हऽ तब्बो ना ओराइल ह |
तिलक दहेज वाला किश्त सोरहनियाँ । | तिलक दहेज वाला किश्त सोरहनियाँ । | ||
बेटहा का घर में ना हाय रहि पावल ऊ | बेटहा का घर में ना हाय रहि पावल ऊ | ||
पंक्ति 111: | पंक्ति 123: | ||
रोके के लूट ई अधिकार ना हमार बाटे | रोके के लूट ई अधिकार ना हमार बाटे | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥13॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥13॥ | ||
− | मुँहमाँगा देत ना दहेज यदि बेटिहा | + | |
+ | मुँहमाँगा देत ना दहेज यदि बेटिहा तऽ | ||
करे सासु बहुते पतोहु के गँजनियाँ । | करे सासु बहुते पतोहु के गँजनियाँ । | ||
माटी का तेल से पतोह के नहवा के भले | माटी का तेल से पतोह के नहवा के भले | ||
पंक्ति 119: | पंक्ति 132: | ||
का जाने हमरो गति ऊहे उहाँ सासु करें | का जाने हमरो गति ऊहे उहाँ सासु करें | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥14॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥14॥ | ||
− | चौदहे बरीस घर राम छोड़ि दिहले | + | |
+ | चौदहे बरीस घर राम छोड़ि दिहले तऽ | ||
पोथी के पोथी लोग लिखले बा कहनियाँ । | पोथी के पोथी लोग लिखले बा कहनियाँ । | ||
जन्म भूमि छोड़ि देत बानी आजीवन हम | जन्म भूमि छोड़ि देत बानी आजीवन हम | ||
माथ पै चढ़ा के माई बाप के बचनियाँ । | माथ पै चढ़ा के माई बाप के बचनियाँ । | ||
− | हमरी बेर बाकी | + | हमरी बेर बाकी तऽ दुकाहें दों सूखि गैल |
बालमीकि व्यास कालिदास के कलमियाँ । | बालमीकि व्यास कालिदास के कलमियाँ । | ||
हमरा ए त्याग पर लिखाइल ना ग्रंथ एको | हमरा ए त्याग पर लिखाइल ना ग्रंथ एको | ||
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥15॥ | एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥15॥ | ||
</poem> | </poem> |
00:09, 28 अक्टूबर 2014 के समय का अवतरण
भारत स्वतंत्र भैल साढ़े तीन प्लान गैल ।
बहुत सुधार भैल जानि गैल दुनियाँ ।
वोट के मिलल अधिकार मेहरारुन का
किन्तु कम भैल ना दहेज के चलनियाँ ।
एही दहेज खातिर बेटिहा पेरात बाटे
तेली मनों गारि गारि परेत बा घनियाँ ।
बेटी के जनम बा बवाल भैल भारत में
एही दुखें डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥1॥
दिल्ली का गद्दी पर बैठल मेहरारुवे बा
ओही के बाटे उहाँ चलत परधनियाँ ।
जल थल आ नभ तीनूँ सेना के सेनापति
दागे सलामी ओके साथ ले पलटनियाँ ।
यू.पी. में तिरिया राज बाटे सुतारन भैल
गुप्ता आ त्रिपाठी जी में होत बा बजनियाँ ।
एहू तिरिया राज में ना सुख भैल बेटिन का
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥2॥
एके दू कौर खा के रातो दिन रहे के परी
देहि के जरावे लगी भूखि के अगिनियाँ ।
खैला का पहिले आ पाछे थारी जाँच करे
अइहें बला के कुछ माई आ बहिनियाँ ।
अधिका खैला से लोग लागी बदनाम करें
ऐसने बा एकरा खन्दान के रहनियाँ ।
एही तरे केतने महीना ले रहे के परी
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥3॥
जाँचे के हमार मन सासु धरि दीहें कबें
हमरा बिछौना तर लड्डू और बुनियाँ ।
कुक्कुरो बिलारि मूस आ के खाइ जाई तब
उल्टे घुमाई लोग हमरे पर घनियाँ ।
हँसि हँसी के बानी कहीं बिगिहें जेठानी आ
सासु कहि दीहें ई तऽ बड़ी बा चटनियाँ ।
हमरा सफाई के रही ना सुनवाई कहीं
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥4॥
ओठर सासु दीहें कि एकरा नैहरवा से
आइल कबें ना तनि ढ़ंग से करनियाँ ।
एकर खन्दान जरिये के भिखमंगा हवे ।
करनी ना कौनो बस खाली बा कथनियाँ ।
एकरा महतारी के फूआ बियाहलि रहे
हमरा मौसी का घरे पाँडे के जमुनियाँ ।
जानि गैनी एकरा से घर ना हमार चली
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥5॥
आजु जात बानी बन्द होखे एक जेल बीच
जेलर जहाँ के सासु ननदि आ जेठनियाँ ।
हम के दिन रात डेरवैहें धमकैहें ऊ
लंका में जानकी के जइसे रकसिनियाँ ।
दुइ चारि साल के न बाटे जेल के ई सजा
जेले में बीती अब सउँसी जिन्दगनियाँ ।
कौनो अदालत सुनी एकर अपील नाहीं
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥6॥
चोरी चुँगुलाई हम आजु ले न कैनी कहीं
तुरनी ना कौनो सरकार के कनुनियाँ ।
कौन बटे कौन दफा लागू बा हमरा पर
एकर ना पौनी हम आजु ले समनियाँ ।
एकहू गवाही ना गुजरल विपक्ष में बा
केहू से न बाटे हमरा से दुसमनियाँ ।
बेकसूर हम के दियात जेल बाटे आजु
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥7॥
काल कोठरी समान होई जेल खाना उहाँ
जहाँ पैसि पाई ना प्रकाश के किरिनियाँ ।
डेढ़ पोरसा पै कहीं जँगला एक होई त
सासु उहाँ साजि दीहें झाँपी और मोनियाँ ।
जेठो बैशाख में न सीड़ सूखत होई जहाँ
धूआँ से भरल घर होई कहीं कोन्हियाँ ।
चौकठ का भीतरे रहे के परी आठो घरी
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥8॥
लेबे के साँस ना बतास ताजा पाइबि हम
ओढ़े के परिहें कई पर्त के ओढ़नियाँ ।
कहियो त गोड़ बड़ा जोर झिन्झिनाये लगी
कहियो दुखाये अगियाये लगी चनियाँ ।
डाक्टर कही कि कम भैल बा बिटामिन बी
नैहर के भूत कही ओझा और गुनियाँ।
केकर जबाब कौन कैसे दे पाइबि हम
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥9॥
हम के सौंपि देले बा माई बाप जेकरा के
जेकर रहे के बाटे बनि के परनियाँ ।
उनहूँ से बोलत में देखि लीहें सासु कहीं
खीसिन बनि जैहें ऊ बन के बधिनियाँ ।
कहिहें कि कैसन कुरहनी ई आइलि बा
एकरा नजर में बा तनिको ना पनियाँ ।
केहू कही अब्बे से आपन ई चीन्हे लगलि
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥10॥
छूटि जात बाटे आजु हमरा से माई बाप
छूटि जात बाटे आजु भाई आ बहिनियाँ ।
काका और काकी के न आँखी देखि पाइबि हा ।
छूटि जात नैहर के नाँव जगरनियाँ ।
बारी फुलवारी सखियारी सब छूटि गइल
सपना समान भैल नैहर के दुनियाँ ।
माई और बाप के रोवाई बा न बन्द होत
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥11॥
बखरा हमार पिता देले जे दहेज मानि
किन्तु बाटे ऐसन समाज के चलनियाँ ।
कौना मसक्कत से रुपया ई जुटावल बा
ई ना लोग बूझेला समुझेला मँगनियाँ ।
केहू का विदाई मिले केहू का पुजाई मिले
केहू नेग खातिर बा चढ़ि जात छन्हियाँ ।
लूटे आ लूटावे के हमरे धन, बाटे इहे
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥12॥
बाप और दादा जौन सम्पति कमाइ गैले
औरी जे छोड़ि गैले उनहूँ के पुरनियाँ ।
सगरी दियाइल हऽ तब्बो ना ओराइल ह
तिलक दहेज वाला किश्त सोरहनियाँ ।
बेटहा का घर में ना हाय रहि पावल ऊ
लूटेले ओहू के नचनिआँ आ बजनियाँ ।
रोके के लूट ई अधिकार ना हमार बाटे
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥13॥
मुँहमाँगा देत ना दहेज यदि बेटिहा तऽ
करे सासु बहुते पतोहु के गँजनियाँ ।
माटी का तेल से पतोह के नहवा के भले
सौंपे सासु ओ के अग्नि देव का सरनियाँ ।
बेटा के बियाह फेरु दोसर दहेज ले के
होई जायी, देरी बा उठला के लगनियाँ ।
का जाने हमरो गति ऊहे उहाँ सासु करें
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥14॥
चौदहे बरीस घर राम छोड़ि दिहले तऽ
पोथी के पोथी लोग लिखले बा कहनियाँ ।
जन्म भूमि छोड़ि देत बानी आजीवन हम
माथ पै चढ़ा के माई बाप के बचनियाँ ।
हमरी बेर बाकी तऽ दुकाहें दों सूखि गैल
बालमीकि व्यास कालिदास के कलमियाँ ।
हमरा ए त्याग पर लिखाइल ना ग्रंथ एको
एही दुखे डोली में रोवति जाति कनियाँ ॥15॥