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"कौन जाने उस तरफ कोई किनारा हो, न हो! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
 
|संग्रह=पँखुरियाँ गुलाब की / गुलाब खंडेलवाल
 
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<poem>
 
  
कौन जाने उस तरफ कोई किनारा हो, न हो!
 
मिल भी जाओ आज, कल मिलना हमारा हो, न हो
 
 
रात भर जंगल-पहाडों में भटकता फिर रहा
 
है हमीं-सा चाँद भी किस्मत का मारा हो न हो!
 
 
हमसे छिप सकती नहीं रंगत किसीके प्यार की
 
दिल तो धड़का है, निगाहों का इशारा हो, न हो
 
 
आज तो मिलती है उन आँखों की ख़ुशबू दूर से 
 
क्या पता कल राह में यह भी सहारा हो, न हो!
 
 
यों तो शोभा बढ़ गयी इस बाग़ की तुझसे, गुलाब!
 
प्यार की शोख़ी  मगर उनको गवारा हो, न हो!
 
 
 
<poem>
 

01:48, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण