भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

कौन जाने मुझे हुआ क्या है / प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान'

Kavita Kosh से
Abhishek Amber (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 19:29, 26 सितम्बर 2018 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=प्रमिल चन्द्र सरीन 'अंजान' |अनुवा...' के साथ नया पृष्ठ बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

कौन जाने मुझे हुआ क्या है
दिल जिगर में ये दर्द सा क्या है

चंद लम्हों का साथ देती है
इन बहारों का आसरा क्या है

मुझपे गुज़रेगी हिज्र में तेरे
इक क़ियामत तुझे पता क्या है

आप क्यों हो रहे हैं मुझसे खफ़ा
बन्दा परवर मेरी ख़ता क्या है

सांस भी बार है तबीयत पर
ज़िंदा रहने में अब पड़ा क्या है

ग़म अलम यास सब मिले मुझको
मेरी किस्मत में और क्या क्या है।