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"क्या आकाश उतर आया है / माखनलाल चतुर्वेदी" के अवतरणों में अंतर

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क्या आकाश उतर आया है
 
क्या आकाश उतर आया है
 
 
दूबों के दरबार में
 
दूबों के दरबार में
 
 
नीली भूमि हरि हो आई
 
नीली भूमि हरि हो आई
 
 
इस किरणों के ज्वार में।
 
इस किरणों के ज्वार में।
 
 
  
 
क्या देखें तरुओं को, उनके
 
क्या देखें तरुओं को, उनके
 
 
फूल लाल अंगारे हैं
 
फूल लाल अंगारे हैं
 
 
वन के विजन भिखारी ने
 
वन के विजन भिखारी ने
 
 
वसुधा में हाथ पसारे हैं।
 
वसुधा में हाथ पसारे हैं।
 
 
  
 
नक्शा उतर गया है बेलों
 
नक्शा उतर गया है बेलों
 
 
की अलमस्त जवानी का
 
की अलमस्त जवानी का
 
 
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों
 
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों
 
 
से दूबों के पानी का।
 
से दूबों के पानी का।
 
 
  
 
तुम न नृत्य कर उठो मयूरी
 
तुम न नृत्य कर उठो मयूरी
 
 
दूबों की हरियाली पर
 
दूबों की हरियाली पर
 
 
हंस तरस खायें उस-
 
हंस तरस खायें उस-
 
 
मुक्ता बोने वाले माली पर।
 
मुक्ता बोने वाले माली पर।
 
 
  
 
ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
 
ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
 
 
नीचाई के प्यार में,
 
नीचाई के प्यार में,
 
 
क्या आकाश उतर आया है
 
क्या आकाश उतर आया है
 
 
दूबों के दरबार में?
 
दूबों के दरबार में?
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13:30, 14 अप्रैल 2009 के समय का अवतरण

क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में
नीली भूमि हरि हो आई
इस किरणों के ज्वार में।

क्या देखें तरुओं को, उनके
फूल लाल अंगारे हैं
वन के विजन भिखारी ने
वसुधा में हाथ पसारे हैं।

नक्शा उतर गया है बेलों
की अलमस्त जवानी का
युद्ध ठना, मोती की लड़ियों
से दूबों के पानी का।

तुम न नृत्य कर उठो मयूरी
दूबों की हरियाली पर
हंस तरस खायें उस-
मुक्ता बोने वाले माली पर।

ऊँचाई यों फिसल पड़ी है
नीचाई के प्यार में,
क्या आकाश उतर आया है
दूबों के दरबार में?