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क्या करूँ संवेदना लेकर तुम्हारी?
चल रहे ऐसी डगर पर,
हर पथिक जिस पर अकेला,
दुख नहीं बंटते बँटते परस्पर,
दूसरों की वेदना में
वेदना जो है दिखाता,