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"क्या कहा, 'अब तो कोई ग़म न होगा'! / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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01:34, 2 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


क्या कहा, 'अब तो कोई ग़म न होगा!'
हाँ जो पहले था एक भरम, न होगा

रंग यों तो किसीमें कम न होगा
फूल जो ढूँढते हैं हम, न होगा

तेरे आँचल का मिल गया है कफ़न
अब तो मरने का हमको ग़म न होगा

कुछ तो मिलता है हर नज़र में मगर
दिल का मिलना क़दम-क़दम न होगा

हँसके देखें गुलाब को यों आप
क्यों उसे प्यार का वहम न होगा!