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क्या कहा कौन हूँ मैं ?क्या हूँ मैं? / गौरव त्रिवेदी

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क्या कहा कौन हूँ मैं ?क्या हूँ मैं?
ग़म की दुनिया का देवता हूँ मैं

ऐसे जैसे कि इक तमाशा हो,
ऐसे दुनिया को देखता हूँ मैं

ग़ज़लें इस बात की गवाही हैं
आपको याद कर रहा हूँ मैं,

मैं ही ख़ुद की बचा हूँ इक दुनिया,
ख़ुद में ही क़ैद हो गया हूँ मैं,

ग़म का लावा फटेगा मुझसे इक,
दिल ही दिल में उबल रहा हूँ मैं