"क्रिकेट का हवा के साथ खिलवाड़ / मनोज श्रीवास्तव" के अवतरणों में अंतर
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उनका क्या हक बनता है | उनका क्या हक बनता है | ||
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भोली-भाली हवाओं को | भोली-भाली हवाओं को | ||
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मैं ऐसे संक्रामक प्रदूषणों को | मैं ऐसे संक्रामक प्रदूषणों को | ||
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वे विकास और धंधों में | वे विकास और धंधों में | ||
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खेल-खिलवाड़ न करें. | खेल-खिलवाड़ न करें. |
15:05, 5 अगस्त 2010 के समय का अवतरण
क्रिकेट का हवाओं के साथ खिलवाड़
ख्यातिलब्ध फील्डों में
क्रिकेट-कुहराम मचाते खिलाड़ी
अपने शातिर गांडीव-बल्ले भांजते
उतर आते हैं
भोली-भाली
बेकुसूर हवाओं में
बर्दाश्त किया जा सकता है
उनका--
खुराफाती टी०वी० स्क्रीन से उतर कर
खालीपन में परोसे गए
समय को फांकते हुए,
लोगों की ज़िन्दगी में
दखल डालना,
या,
हाट, मेलों
प्लेटफार्मों और ट्रेनों में
छुट्टी मनाते घंटों में
यात्रियों की निरीह और
विकलांग बहसों में
बेमतलब घुस आना
और उनकी समूची दिनचर्या के
अहम् हिस्से का
सिर कलम कर देना
उनका क्या हक बनता है
कि वे
अपनी गहमागहमी से
भोली-भाली हवाओं को
प्रदूषित कर दें
और चैन की पंछियों का
दम घोंट दें
क्रिकेट-दूषित हवाएं
हराम कर रही हैं
उन क्षणों का व्यस्त होना
जिनके कड़ीबद्ध होने से
उड़ते बहुमंजिले सड़कदार पुल
पल में तय कर देते हैं
अगम्य स्थानों की
थकाऊ दूरी,
वे दुधमुंहों को औचक बालिग बन
उनके पेट में
भर देती हैं
फ़िज़ूल आंकड़ों का कूड़ा
मैं ऐसे संक्रामक प्रदूषणों को
चेता देना चाहता हूँ कि
वे विकास और धंधों में
संवहनीय हवाओं के साथ
खेल-खिलवाड़ न करें.