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क्षमा / गिरिराज किराडू

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कौन क्षमा करेगा मुझे
जब क्षमा मांगना ही पराभव या पस्ती हो गया हो
मैं यह लिख रहा हूँ और आसमान मज़ाक उड़ा रहा है मेरा
देखो लिख रहा है मूर्ख बस क्षमा मिल जाए
सबसे अग्नि कहने से मुँह नहीं जलता
क्षमा लिखने से क्षमा नहीं मिलती मूर्ख