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"ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज / अशोक 'मिज़ाज'" के अवतरणों में अंतर
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ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़ | ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़ | ||
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रात भर जाग के सीने से लगाया काग़ज़ | रात भर जाग के सीने से लगाया काग़ज़ | ||
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एक आहट सी हुई चौंक के देखा मैंने | एक आहट सी हुई चौंक के देखा मैंने | ||
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एक पत्थर में था लिपटा हुआ ख़त सा काग़ज़ | एक पत्थर में था लिपटा हुआ ख़त सा काग़ज़ | ||
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कोई इस दिल पे मुहब्बत की ग़ज़ल लिक्खेगा | कोई इस दिल पे मुहब्बत की ग़ज़ल लिक्खेगा | ||
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काम आयेगा किसी रोज़ ये कोरा काग़ज़ | काम आयेगा किसी रोज़ ये कोरा काग़ज़ | ||
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आपका नाम किसी और के संग लाया था | आपका नाम किसी और के संग लाया था | ||
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लाल स्याही में छपा ऐक सुनहरा काग़ज़ | लाल स्याही में छपा ऐक सुनहरा काग़ज़ | ||
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ग़म का इज़हार कुछ इस तरहा किया था उसने | ग़म का इज़हार कुछ इस तरहा किया था उसने | ||
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इक लिफ़ाफे में मिला था मुझे भीगा काग़ज़ | इक लिफ़ाफे में मिला था मुझे भीगा काग़ज़ | ||
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अब ख़ुशी है न कोई ग़म न तमन्ना है मिज़ाज | अब ख़ुशी है न कोई ग़म न तमन्ना है मिज़ाज | ||
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ज़िंदगी आज भी है जैसे कि कोरा काग़ज़ | ज़िंदगी आज भी है जैसे कि कोरा काग़ज़ | ||
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11:33, 4 अप्रैल 2018 के समय का अवतरण
ख़त की सूरत में मिला था जो वो पहला काग़ज़
रात भर जाग के सीने से लगाया काग़ज़
एक आहट सी हुई चौंक के देखा मैंने
एक पत्थर में था लिपटा हुआ ख़त सा काग़ज़
कोई इस दिल पे मुहब्बत की ग़ज़ल लिक्खेगा
काम आयेगा किसी रोज़ ये कोरा काग़ज़
आपका नाम किसी और के संग लाया था
लाल स्याही में छपा ऐक सुनहरा काग़ज़
ग़म का इज़हार कुछ इस तरहा किया था उसने
इक लिफ़ाफे में मिला था मुझे भीगा काग़ज़
अब ख़ुशी है न कोई ग़म न तमन्ना है मिज़ाज
ज़िंदगी आज भी है जैसे कि कोरा काग़ज़