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"ख़यालों में उनके समाये हैं हम / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर

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जिन्हें देखकर था नशा चढ़ गया
 
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वही कह रहे, पीके आये हैं हम
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वही कह रहे, 'पीके आये हैं हम'
  
 
मसलती है पाँवों से दुनिया गुलाब
 
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मगर अब हवाओं में छाये हैं हम
 
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01:51, 9 जुलाई 2011 के समय का अवतरण


ख़यालों में उनके समाये हैं हम
भले ही नज़र में पराये हैं हम

कभी इसको मुँह तक भरें तो सही
ये प्याला बहुत बार लाये हैं हम

हुआ क्या जो सब उठके जाने लगे
अभी बात भी कह न पाए हैं हम!

जिन्हें देखकर था नशा चढ़ गया
वही कह रहे, 'पीके आये हैं हम'

मसलती है पाँवों से दुनिया गुलाब
मगर अब हवाओं में छाये हैं हम