भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही / अहमद नदीम क़ासमी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
(New page: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=अहमद नदीम काज़मी |संग्रह= }} Category:ग़ज़ल ख़ुदा नहीं, न सह...)
 
पंक्ति 32: पंक्ति 32:
  
  
ना-ख़ुदा= नाविक अथवा कर्णधार; तक़ाज़ा=चाह; इल्तिजा=प्रार्थना; बारगाह=कचहरी; मावरा=परे
+
ना-ख़ुदा= नाविक अथवा कर्णधार; तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत; इल्तिजा=प्रार्थना; बारगाह=कचहरी; मावरा=परे

03:09, 25 अक्टूबर 2007 का अवतरण


ख़ुदा नहीं, न सही, ना-ख़ुदा नहीं, न सही

तेरे बगै़र कोई आसरा नहीं, न सही


तेरी तलब का तक़ाज़ा है ज़िन्दगी मेरी

तेरे मुक़ाम का कोई पता नहीं, न सही


तुझे सुनाई तो दी, ये गुरूर क्या कम है

अगर क़बूल मेरी इल्तिजा नहीं, न सही


तेरी निगाह में हूँ, तेरी बारगाह में हूँ

अगर मुझे कोई पहचानता नहीं, न सही


नहीं हैं सर्द अभी हौसले उड़ानों के

वो मेरी जात से भी मावरा नहीं, न सही


ना-ख़ुदा= नाविक अथवा कर्णधार; तलब का तक़ाज़ा=चाह की ज़रूरत; इल्तिजा=प्रार्थना; बारगाह=कचहरी; मावरा=परे