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"ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर

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तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
 
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो
  
पास बैठो कभी तो पल दो पल
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पास बैठो कभी तो पहलू  में
 
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो
 
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो
  
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हो गया होगा रो के दिल हल्का
 
हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से पाई नहीं नजात कहो
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ग़म से भी मिल गयी नजात कहो
  
ज़िन्दगी को सुकून देती है
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ज़िन्दगी में कहाँ सुकूने-दिल
 
मौत को राहते-हयात कहो
 
मौत को राहते-हयात कहो
  

16:54, 30 सितम्बर 2011 का अवतरण


ख़ुद को तुम मेरी कायनात कहो
दिल को जो छूले ऐसी बात कहो

आज मौसम की पहली बारिश में
तन्हा कैसे कटेगी रात कहो

पास बैठो कभी तो पहलू में
कुछ हमारी कुछ अपनी बात कहो

आज वो बेनक़ाब निकले हैं
आज की रात चाँद रात कहो

हो गया होगा रो के दिल हल्का
ग़म से भी मिल गयी नजात कहो

ज़िन्दगी में कहाँ सुकूने-दिल
मौत को राहते-हयात कहो

ख़ाक जलकर हुआ है कौन 'रक़ीब'
किसने खाई है किससे मात कहो