भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ख़ुद को पहचानता नहीं हूँ मैं / रविंदर कुमार सोनी
Kavita Kosh से
Ravinder Kumar Soni (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:32, 25 फ़रवरी 2012 का अवतरण
ख़ुद को पहचानता नहीं हूँ मैं
तुझ को अपना रहा नहीं हूँ मैं
अपनी ही ज़ात में हूँ खोया हुआ
तुझ से लेकिन जुदा नहीं हूँ मैं
है कमी भी, बुराई भी मुझ में
आदमी हूँ ख़ुदा नहीं हूँ मैं
तेरे होने का है यक़ीं मुझ को
तूने क्या कह दिया नहीं हूँ मैं
क्यूँ उठाते हो बज़्म ए इशरत से
साज़ ए ग़म की सदा नहीं हूँ मैं
दिल को ये कह के क्यूँ न खुश कर लूँ
ग़म से ना आशना नहीं हूँ मैं
मैं हूँ दीदार जू, नकाब उठाओ
देख लो आइना नहीं हूँ मैं
ज़ीस्त की आँख से न जो टपका
क़तरा वो खून का नहीं हूँ मैं