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ख़ुशी की बात / अरविन्द श्रीवास्तव

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इससे अधिक खुशी की बात
और क्या हो सकती है
कि इस वक्त भी
कौए को मिल जाता है
भरपेट भोजन
बिन पगार के
पहरेदारी करने से
नहीं चूकता कुत्ता

और हमारे यहाँ
विनम्र लोग
अभी भी बाँट कर खा रहे हैं तम्बाकू

कि धूप-चाँदनी
हवा और पानी ने
निर्मम लोगों के प्रति
तनिक भी नहीं बदला है व्यवहार

इससे अधिक खुशी की बात
और क्या हो सकती है
कि अभी भी गर्म है आँच
और बर्फ़ अभी भी है ठंडी।