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खाघि / मन्त्रेश्वर झा

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आहि रौ बात, बड़ संतापकोनाकें पाटत ई खाधि ?सब अवढ़ंग सब षड्रंगसभक उमंगई पीढ़ीक अन्तर, खसल चितंग !आहि रौ बाप !जे नित्त भेल जाइत अछि गहींरआहि रौ बापकें बेटा आ बेटाकें बाप, बड़ अभिशापदैवी योग, लिखला भोगकहियो नहि सोहएलैक।धर्मक ग्लानि, कर्मक हानि‘पुत्रात् शिष्यात् पराजय’क सिद्धान्त,आहि रौ बाप।पोथिये में बोहएलैक।‘चिरजीवी’ परशुरामकें नहि सोहएलनि कर्ण;‘प्रियदर्शी’ अशोककें कीसोहएलनि कुणाल ?औरंगजेबकें की देखल गेलनिशाहजहाँ केर भाल ?बेटाक जन्मेसँ ताली पीटबकहियो नहि होइत छैक बन्नमुदा पश्चातापमे बदलि जाइत छैआहि रौ बाप, बड़-बड़ पाठ,क्षणिक सुखक आनन्द।फाँक पर फाँक तखन मारैत छैक ताली‘जय माँ काली’ अन्हरजालीबापक मरबाक दुःखकें चिबाबड़-बड़ जाप, जरतीजाइत छैक काल।अकाल-मरती वर्षामहाकालनिकलैत छै गारि आ’चलैत छै निधोख कोदारि।तखन कोनाकें पाटत ई खाधि-बाढ़िलगले लागल व्याधिई पीढ़ीक अन्तर-बिहाड़िआहि रौ बाप !जे नित भेल जाइत अछि गहींर। एक खाधिकें पाटबा लेलकेवल दोसर खाधि खूनल जाइत अछितें एक पर दोसर आदोसर पर तेसर केवल खाधिकजाल बिछल जाइत अछिआहि रौ बापरक्तबीज जकाँ खाधिक सन्तानबढ़ले जाइत अछि, ठोपे-ठापपीढ़ी पीढ़ी केर अभियानबढ़ले जाइत अछि,टोपे-टापपीढ़ी, सभ बुधियारजकर पैर पातालमेनाटककारपाकल छै, सबहक यार-कक्कर यार !बाप रौ बाप !आहि रौ बाप, बेटा-बापपीढ़ी,जकर माथ आकाशमेबापक बेटा कक्कर छाप ?जाकल छै।पापक पापतखन कोनाकेंके साटत, कक्कर पाप ?ई फाटल विश्वासआहि रौ बाप कोनोकेंके चाटत ई क्रान्तिक व्याधि ?बाप रौ बापतें ई प्रश्न-जे कोनाकें पाटत ई खाधि, आहि रौ बापई पीढ़ीक अन्तर,बाप रौ बाप, आहि रौ बाप !!जे नित भेल जाइत अछि गहींर।
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