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"खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये / गुलाब खंडेलवाल" के अवतरणों में अंतर
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− | |रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
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− | |संग्रह= सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
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− | [[Category:गज़ल]]
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− | खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
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− | मगर गुलाब है खिलता किसी-किसीके लिये
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− | न मौत के लिये आये न ज़िन्दगी के लिये
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− | तड़पने आये हैं दुनिया में दो घड़ी के लिये
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− | अदाएं तेरी जो, ऐ ज़िन्दगी! सँभाल सके
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− | कलेजा चाहिए पत्थर का आदमी के लिये
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− | ये हमने माना कि जीवन है एक अँधेरी रात
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− | कभी तो वे भी चले आयें रोशनी के लिये
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− | करेगा कौन उन्हें प्यार अब हमारी तरह!
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− | न चाँद फिर कभी निकलेगा चाँदनी के लिये
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− | जहां भी होती है चर्चा तेरी रंगीनी की
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− | हमारा नाम भी लेते हैं सादगी के लिये
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01:41, 8 जुलाई 2011 के समय का अवतरण