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|रचनाकार='अना' क़ासमी
|संग्रह=|संग्रह=हवाओं के साज़ पर / 'अना' क़ासमी
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वो आस्माँ मिज़ाज कहां आस्माँ से था
उसका वजूद भी तो इसक ख़ाकदाँ1 से था
 
उसके हरेक ज़ुल्म को कहता या अ़द्ल2 मैं
साया मिरे भी सर पे उसी सायबाँ से था
 
इक साहिरा3 ने मोम से पत्थर किया जिसे
वो क़िस्सा-ए-लतीफ़ मिरी दास्ताँ से था
 
गरदान4 कर मैं आया हूँ मीज़ाने-फ़ायलात5
अबके हमारा सामना उस नुक्तादाँ6 से था
 
ये मुफ़लिसी की आँच में झुलसी हुई ग़ज़ल
रिश्ता ये किस ग़रीब का उर्दू ज़बाँ से था
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1. धरती 2. न्याय 3. जादूगरनी 4. पुनरावृत्ति 5. छंद मापन विधि 6. श्रेष्ठ
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