भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"खोयापन / गिरधर राठी" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
छो (खोयापन / गिरिधर राठी का नाम बदलकर खोयापन / गिरधर राठी कर दिया गया है)
 
(कोई अंतर नहीं)

02:35, 24 जून 2009 के समय का अवतरण

आँखों के आगे रखी हुई

वह माचिस

खोजने पर मिलती नहीं

गोया सरे-आम छिपी रहने को व्यग्र

बेरुख़ और गुमसुम...


इस तरह हम जानते हैं कि चीज़ों का खो जाना

और उन का खोयापन

दरअसल दो अलग-अलग चीज़ें हैं


यह न तो सिर्फ़ हमारी नज़रों का धोखा है

न ही हमारे अपने खोए-

खोएपन का नतीजा