भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

"गदहे गावें गान/ शीलेन्द्र कुमार सिंह चौहान" के अवतरणों में अंतर

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज
 
पंक्ति 13: पंक्ति 13:
 
चिड़ियाघर की पहरेदारी  
 
चिड़ियाघर की पहरेदारी  
 
बाज़ों ने पाई,  
 
बाज़ों ने पाई,  
रंगे सियारों के हिस्से में
+
भेड़ों की निगरानी
राजसभा आई,  
+
बाघों के हिस्से आई,  
 
घायल श्वेत कबूतर, चीलें,  
 
घायल श्वेत कबूतर, चीलें,  
 
भरती फिरें उड़ान ।
 
भरती फिरें उड़ान ।
पंक्ति 29: पंक्ति 29:
 
हिलना डुलना भूल गए हैं,  
 
हिलना डुलना भूल गए हैं,  
 
पीपल के पत्ते,   
 
पीपल के पत्ते,   
बाजीगर थोथी बातों के
+
बतधर श्रंगालों ने पाया
घोषित हुए महान
+
कुर्सी का सम्मान
 
   
 
   
 
क्या होगा फिर तेरा मेरे  
 
क्या होगा फिर तेरा मेरे  
 
प्यारे हिन्दुस्तान ?
 
प्यारे हिन्दुस्तान ?
 
</poem>
 
</poem>

22:01, 13 मार्च 2012 के समय का अवतरण

उल्लू बैठे पढ़ें फारसी
गदहे गावें गान,
क्या होगा फिर तेरा मेरे
प्यारे हिन्दुस्तान ?
 
चिड़ियाघर की पहरेदारी
बाज़ों ने पाई,
भेड़ों की निगरानी
बाघों के हिस्से आई,
घायल श्वेत कबूतर, चीलें,
भरती फिरें उड़ान ।
 
ताल किनारे बसी हुई है
बगुलों की बस्ती,
बीन-बीन खा रहे मछलियाँ
काट रहे मस्ती,
हंसों को उपदेश दे रहे
कौवे चढ़े मचान ।
 
शाख-शाख पर लगे हुए हैं
बर्रो के छत्ते,
हिलना डुलना भूल गए हैं,
पीपल के पत्ते,
बतधर श्रंगालों ने पाया
कुर्सी का सम्मान ।
 
क्या होगा फिर तेरा मेरे
प्यारे हिन्दुस्तान ?