भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गम रहा जब तक कि दम में दम रहा / मीर तक़ी 'मीर'

Kavita Kosh से
Premchand (चर्चा) द्वारा परिवर्तित 17:40, 10 सितम्बर 2007 का अवतरण (New page: गम रहा जब तक कि दम में दम रहा दिल के जाने का निहायत गम रहा हुस्न था तेरा ...)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

गम रहा जब तक कि दम में दम रहा

दिल के जाने का निहायत गम रहा


हुस्न था तेरा बहुत आलम फरेब

खत के आने पर भी इक आलम रहा


मेरे रोने की हकीकत जिस में थी

एक मुद्दत तक वो कागज नम रहा


जामा-ऐ-एहराम-ऐ-ज़ाहिद पर न जा

था हरम में लेकिन ना-महरम रहा