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"गरीबा / तिली पांत / पृष्ठ - 7 / नूतन प्रसाद शर्मा" के अवतरणों में अंतर

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वइसे यदि तंय प्रतिभाशाली, तोला कोन सकत हे दाब
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रख ईमान काम भर ला कर, निश्चय पाबे नाम इनाम।”
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झिंगुट उहां ले हट के पहुंचिस, इमला नाम बहुत विख्यात
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एक सेक बढ़ चित्र बनाथय, असल प्राकृतिक जेकर रुप।
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झिंगुट आय कब ओकर तिर मं, एकर ले इमला अनजान
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चित्र बनावत हवय बिधुन हो, सिर्फ काम पर ओकर चेत।
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ध्यान मग्न इमला ला देखिस, झिंगुट ला आलस कबिया लीस
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आंखी मूंद नींद ला भांजत, काबर आय भूल सब गीस।
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इमला अपन बुद्धि विकसित कर, रखिस सहेज चित एकाग्र
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चित्र बना के पूरा कर लिस, जेकर दृष्य निम्न अनुसार –
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“एक कृषक हा दुंगदुंग उघरा, रखे कांध पर नांगर एक
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ओकर संग फुरमानुक बइला, बुता पुरोय चलत हे खेत।
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बड़े फजर के टेम सुहावन, शुद्ध हवा बांटत उत्साह
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डोंगरी नहक सुरुज उग आवत, चिरई उड़त हें डेना खोल।,
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इमला अपन चित्र ला देखत, स्वयं मोहात वास्तविक जान
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मन संतोष पात – तन फुरसुद, पके फसल ला देख किसान।
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काम डहर ले आंखी हटथय, झिंगुट तनी लेगिस हे आंख
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झिंगुट जगय कहि के हेचकारत, आखिर खुलिस जपर्रा के आंख।
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अपन दोष ला रिहिस लुकाना, कहिथय झिंगुट खूब कर रोस –
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“मदद मंगे बर आय तोर तिर, पर तंय कहां करत हस मान!
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मनसे ख्याति प्राप्त कर लेथय, ओकर नाम चढ़त जहं ऊंच
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ओकर पर घमंड चढ़ जाथय, पर ला समझत बइकुफ हीन।
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ज्ञान रास हे जतिक तोर तिर, मोला बांट भला कुछ अंश
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चित्रकार मंय बने चहत हंव, करके मदद करा उत्तीर्ण।”
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झिंगुट हा नंगत अक फटकारिस, पर इमला सब ला टरियैस
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कहिथय -”तंय हा जब जब आथस, फलल फलल करथस बस गोठ।
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चित्रकार तंय बनना चाहत, काम करव रख के उत्साह
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मंय हा कला मर्म समझावत, मन ले गुण ला कर स्वीकार।
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चित्र बनाय जिनिस जे लगथय, ओकर नाम प्रकृया जान
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चमचम वस्तुस्थिति ला जानव, तब फिर अपन लक्ष्य ला पाव।
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खड़े रथय स्टैण्ड एक ठन, कार्ड बोर्ड मं ड्राइंग शीट
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डिश मं ब्रश ओकर संग कई रंग, होत जरुरत जग मं नीर।
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रफस्केच बनत पेंसिल मं, कभु हो सकत रबर उपयोग
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तंहने फेर रंग भरे जाथय, स्थिति अउ पदार्थ अनुसार।”
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इमला सूक्ष्म ज्ञान ला देवत, मगर झिंगुट के कुन्द दिमाग
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बोलिस – “तंय मोला झन समझा, अपन ज्ञान ला रख खुद पास।
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बना मोर बर चित्र एक ठक, स्वयं यत्न कर लगा दिमाग
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मंय कतको कोशिश ला करिहंव, मगर सफलता भगिहय दूर।”
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“दुसर भरोसा मार परोसा, पर के बिल मं करत निवास
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पर तंय एदे उत्थान जानत – नींद आय नइ पार के आंख।
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अगर भात ला लिलना होवय, ताकत कर मुंह खोलो।
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ज्ञान पाय बर सोचत तब तन बुद्धि ला श्रम बर जोंगो।
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इमला सत्य तथ्य ओरियाइस, मगर झिंगुट ला लगथय लाग
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बोलिस -”मंय एला जानत हंव – भुखहा ला दुतकारत भात।
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जे मनखे के बूता बिगड़त, कभु नइ पाय सांत्वना प्यार
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ऊपर ले दुत्कार ला पाथय – एकर मुड़ पर कलंक निवास।
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जेकर काम सफल हो जाथय, ओकर बढ़त दून उत्साह
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पात प्रशंसा दुश्मन तक ले – कर्मवीर हे ए इंसान।
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यदि आलोचना ला दुरिहा रख, करते सिद्ध मोर तंय ध्येय
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हार ले झगड़े शक्ति मंय पातेंव, शांति हर्ष पातिस मन तोर।”
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झिंगुट तरमिरा उहां ले निकलिस, मगर राह मं करत विचार –
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“मंय दूसर पर दोष लगावत, देखत रथंव पर के मुंह ओर।
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लेकिन अपन शक्ति नइ जाचंव, स्वयं समीक्षा कार अभाव!
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अब खुद ले विश्वास जगावंव, अंतस कमी करंव मंय दूर -”
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झिंगुट लेत निर्णय भावी बर, कौंवा पर पर जथय निगाह
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कुछ दुरिहा रोटी के कुटका, कौंवा चहत उठा के खांव,
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चारों डहर टंहक के देखत, झझकत चमकत उला के चोंच
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रोटी तिर पहुंचत अमरे बर, मगर उड़त मनखे ला देख।
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आखिर हिम्मत दून बढ़ाइस, रोटी पर मारिस फट चोंच
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जहां खाय के जिनिस ला अमरिस, पेड़ डार पर बइठ के खात।
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झिंगुट प्रश्न राखिस कौंवा तिर – “तंय अस डरपोकना शंकालु
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तोला असफल होना चहिये, पर उद्देश्य ला खब पा लेस।
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एमां गुप्त रहस्य छिपे हे, ओकर राज मोर तिर खोल
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ताकि तोर अस रद्दा रेंगंव, असफलता पर विजय ला पांव।?”
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कौंवा सब रोटी ला खा लिस, तंहने दीस हकन के ज्वाप –
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“पहिली शंका हटा देंव मंय, अपन शक्ति पर दृढ़ विश्वास।
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पर के खोदी करना छूटिस, सिरिफ लक्ष्य पर मोर निगाह
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तमे सफलता पांवला चूमिस, असफलता के कट गे नाक।”
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झिंगुट सुनिस कौंवा के साहस, पूर्व के निर्णय होवत ठोस
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तभे पास मं जैलू पहुंचिस, ओहर अपन कथा फुरियैस।
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झिंगुट आंख फाड़त भर अचरज, लगिस धान मं बदरा ढेर
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कहिथय -”प्रकृति छल देखाय बर, करथय काम अचम्भापूर्ण।
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लेकिन तंय बतात अभि गाथा, ओकर पर ओ दिन विश्वास
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सांप के दांत तीक्ष्ण विष होथय, मगर होय अमृत बरसात।”
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झिंगुट हा जैलू ला खब भेजिस, पंचम मनोचिकित्सक पास
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जैलू अपन समस्या रखथय, लाज खुशी फिक्कर के साथ।
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कहिथय – “मंय कलपत दिन रतिहा, घर सुनसान बिगर औलाद
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इच्छा मोर पूर्ण अब होवत, पर प्रकृति कर दिस उपहास।
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मंय अंव पुरुष पर अमल मं हंव, लगे हवय महिना गिन पांच
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लुका के रहिहंव लाज के कारन, बाहिर आहंव “निभे’ के टेम।
 
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16:12, 7 जनवरी 2017 के समय का अवतरण

वइसे यदि तंय प्रतिभाशाली, तोला कोन सकत हे दाब
रख ईमान काम भर ला कर, निश्चय पाबे नाम इनाम।”
झिंगुट उहां ले हट के पहुंचिस, इमला नाम बहुत विख्यात
एक सेक बढ़ चित्र बनाथय, असल प्राकृतिक जेकर रुप।
झिंगुट आय कब ओकर तिर मं, एकर ले इमला अनजान
चित्र बनावत हवय बिधुन हो, सिर्फ काम पर ओकर चेत।
ध्यान मग्न इमला ला देखिस, झिंगुट ला आलस कबिया लीस
आंखी मूंद नींद ला भांजत, काबर आय भूल सब गीस।
इमला अपन बुद्धि विकसित कर, रखिस सहेज चित एकाग्र
चित्र बना के पूरा कर लिस, जेकर दृष्य निम्न अनुसार –
“एक कृषक हा दुंगदुंग उघरा, रखे कांध पर नांगर एक
ओकर संग फुरमानुक बइला, बुता पुरोय चलत हे खेत।
बड़े फजर के टेम सुहावन, शुद्ध हवा बांटत उत्साह
डोंगरी नहक सुरुज उग आवत, चिरई उड़त हें डेना खोल।,
इमला अपन चित्र ला देखत, स्वयं मोहात वास्तविक जान
मन संतोष पात – तन फुरसुद, पके फसल ला देख किसान।
काम डहर ले आंखी हटथय, झिंगुट तनी लेगिस हे आंख
झिंगुट जगय कहि के हेचकारत, आखिर खुलिस जपर्रा के आंख।
अपन दोष ला रिहिस लुकाना, कहिथय झिंगुट खूब कर रोस –
“मदद मंगे बर आय तोर तिर, पर तंय कहां करत हस मान!
मनसे ख्याति प्राप्त कर लेथय, ओकर नाम चढ़त जहं ऊंच
ओकर पर घमंड चढ़ जाथय, पर ला समझत बइकुफ हीन।
ज्ञान रास हे जतिक तोर तिर, मोला बांट भला कुछ अंश
चित्रकार मंय बने चहत हंव, करके मदद करा उत्तीर्ण।”
झिंगुट हा नंगत अक फटकारिस, पर इमला सब ला टरियैस
कहिथय -”तंय हा जब जब आथस, फलल फलल करथस बस गोठ।
चित्रकार तंय बनना चाहत, काम करव रख के उत्साह
मंय हा कला मर्म समझावत, मन ले गुण ला कर स्वीकार।
चित्र बनाय जिनिस जे लगथय, ओकर नाम प्रकृया जान
चमचम वस्तुस्थिति ला जानव, तब फिर अपन लक्ष्य ला पाव।
खड़े रथय स्टैण्ड एक ठन, कार्ड बोर्ड मं ड्राइंग शीट
डिश मं ब्रश ओकर संग कई रंग, होत जरुरत जग मं नीर।
रफस्केच बनत पेंसिल मं, कभु हो सकत रबर उपयोग
तंहने फेर रंग भरे जाथय, स्थिति अउ पदार्थ अनुसार।”
इमला सूक्ष्म ज्ञान ला देवत, मगर झिंगुट के कुन्द दिमाग
बोलिस – “तंय मोला झन समझा, अपन ज्ञान ला रख खुद पास।
बना मोर बर चित्र एक ठक, स्वयं यत्न कर लगा दिमाग
मंय कतको कोशिश ला करिहंव, मगर सफलता भगिहय दूर।”
“दुसर भरोसा मार परोसा, पर के बिल मं करत निवास
पर तंय एदे उत्थान जानत – नींद आय नइ पार के आंख।
अगर भात ला लिलना होवय, ताकत कर मुंह खोलो।
ज्ञान पाय बर सोचत तब तन बुद्धि ला श्रम बर जोंगो।
इमला सत्य तथ्य ओरियाइस, मगर झिंगुट ला लगथय लाग
बोलिस -”मंय एला जानत हंव – भुखहा ला दुतकारत भात।
जे मनखे के बूता बिगड़त, कभु नइ पाय सांत्वना प्यार
ऊपर ले दुत्कार ला पाथय – एकर मुड़ पर कलंक निवास।
जेकर काम सफल हो जाथय, ओकर बढ़त दून उत्साह
पात प्रशंसा दुश्मन तक ले – कर्मवीर हे ए इंसान।
यदि आलोचना ला दुरिहा रख, करते सिद्ध मोर तंय ध्येय
हार ले झगड़े शक्ति मंय पातेंव, शांति हर्ष पातिस मन तोर।”
झिंगुट तरमिरा उहां ले निकलिस, मगर राह मं करत विचार –
“मंय दूसर पर दोष लगावत, देखत रथंव पर के मुंह ओर।
लेकिन अपन शक्ति नइ जाचंव, स्वयं समीक्षा कार अभाव!
अब खुद ले विश्वास जगावंव, अंतस कमी करंव मंय दूर -”
झिंगुट लेत निर्णय भावी बर, कौंवा पर पर जथय निगाह
कुछ दुरिहा रोटी के कुटका, कौंवा चहत उठा के खांव,
चारों डहर टंहक के देखत, झझकत चमकत उला के चोंच
रोटी तिर पहुंचत अमरे बर, मगर उड़त मनखे ला देख।
आखिर हिम्मत दून बढ़ाइस, रोटी पर मारिस फट चोंच
जहां खाय के जिनिस ला अमरिस, पेड़ डार पर बइठ के खात।
झिंगुट प्रश्न राखिस कौंवा तिर – “तंय अस डरपोकना शंकालु
तोला असफल होना चहिये, पर उद्देश्य ला खब पा लेस।
एमां गुप्त रहस्य छिपे हे, ओकर राज मोर तिर खोल
ताकि तोर अस रद्दा रेंगंव, असफलता पर विजय ला पांव।?”
कौंवा सब रोटी ला खा लिस, तंहने दीस हकन के ज्वाप –
“पहिली शंका हटा देंव मंय, अपन शक्ति पर दृढ़ विश्वास।
पर के खोदी करना छूटिस, सिरिफ लक्ष्य पर मोर निगाह
तमे सफलता पांवला चूमिस, असफलता के कट गे नाक।”
झिंगुट सुनिस कौंवा के साहस, पूर्व के निर्णय होवत ठोस
तभे पास मं जैलू पहुंचिस, ओहर अपन कथा फुरियैस।
झिंगुट आंख फाड़त भर अचरज, लगिस धान मं बदरा ढेर
कहिथय -”प्रकृति छल देखाय बर, करथय काम अचम्भापूर्ण।
लेकिन तंय बतात अभि गाथा, ओकर पर ओ दिन विश्वास
सांप के दांत तीक्ष्ण विष होथय, मगर होय अमृत बरसात।”
झिंगुट हा जैलू ला खब भेजिस, पंचम मनोचिकित्सक पास
जैलू अपन समस्या रखथय, लाज खुशी फिक्कर के साथ।
कहिथय – “मंय कलपत दिन रतिहा, घर सुनसान बिगर औलाद
इच्छा मोर पूर्ण अब होवत, पर प्रकृति कर दिस उपहास।
मंय अंव पुरुष पर अमल मं हंव, लगे हवय महिना गिन पांच
लुका के रहिहंव लाज के कारन, बाहिर आहंव “निभे’ के टेम।