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गर्दिश में हों तारे, न घबराना प्यारे / राजा मेंहदी अली खान

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गर्दिश में हों तारे, न घबराना प्यारे
ग़र तू हिम्मत न हारे, तो होंगे वारे न्यारे
गर्दिश में हों तारे...

मुझको मेरी आशा, देती है दिलासा
आयेंगी बहारें चली जाएगी ख़िज़ा
हो, आस्मां ये नीला-नीला करे है इशारे
गर्दिश में हों तारे...

बाज़ुओं में दम है, फिर काहे का ग़म है
अपने इरादे हैं, उमंगें हैं जवां
हो, मुशिलें कहाँ हैं, उम्हें मेरा दिल पुकारे
गर्दिश में हों तारे...

दुनिया है सराय, रहने तो कह्म आए
आया है तो हँसी-खुशी रह ले तू यहाँ
हो, सुरमा है ज़िंदगी जो काँटों में गुज़ारे
गर्दिश में हों तारे...