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* [[मय को बताओ ज़हरे-हलाहल फूल को बेशक ख़ार कहो / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[मय पीते हैं दिन-रात पिया जाए है कुछ और / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[मिल गए थे बालो-पर कुछ न कुछ तो होना था / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[मुझ से वतन का हाल न पूछ / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[मैं भी था मद्दाह उसका मुँह अगरचे बन्द था / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[सोज़ साहेब से है अब इरशाद कुछ फ़रमाइए / कांतिमोहन 'सोज़']]
* [[शेख़ का एहतराम करते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']]
  * [[मिल गए थे बालो'हम ऐसी सब किताबें क़ाबिले-पर कुछ न कुछ तो होना था ज़ब्ती समझते हैं / कांतिमोहन 'सोज़']] 
* अभी फ़र्दे-गुनह में सिर्फ़ अपना नाम ही तो है / कांतिमोहन 'सोज़'
* तीर की नोक कभी ज़ख़्मे-जिगर देखेंगे / कांतिमोहन 'सोज़'
* अब ख़ता होगी न कोई न शरारत होगी / कांतिमोहन 'सोज़'
* क्या उसे इतना भा गया हूं मैं / कांतिमोहन 'सोज़'
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