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ग़लतफ़हमी / अरुण कमल

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उसने मुझे आदाब कहा और पूछा अरे कहाँ रहे इतने रोज़
सुना आपके मामू का इंतकाल हो गया?
दूसरा तीसरे से मिले और फिर सब एक से लगें, सब में सब--
और हर बार हम सही से ज़्यादा ग़लत हों।
 
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