भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

ग़ुलाम देश से आई एक गोपनीय रपट / निज़ार क़ब्बानी

Kavita Kosh से
Anupama Pathak (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 17:16, 11 अक्टूबर 2017 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

साथियो !
क्या है कविता ग़र नहीं करती यह एलान बगावत का ?
ग़र उखाड़ नहीं फेंकती यह निरंकुश सत्ता को ?
क्या है कविता ग़र यह नहीं भड़काती ज्वालामुखियों को वहाँ
जहाँ हमें उनकी ज़रूरत है ?
और क्या मतलब है कविता का आख़िर
ग़र यह नोच नहीं लेती दुनिया के ताक़तवर बादशाहों के सर से ताज ?

अँग्रेज़ी से अनुवाद : मनोज पटेल