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{{KKRachna
|रचनाकार=डी. एम. मिश्र
|संग्रह=आईना-दर-आईना / डी. एम. मिश्र
}}
{{KKCatGhazal}}
<poem>
गाँवों का उत्थान देखकर आया हूँ
मुखिया की का दालान देखकर आया हूँ।
मनरेगा की कहाँ मजूरी चली गई
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