भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गाँव-गाँव का नाई बुलाओ रे भाई / पँवारी

Kavita Kosh से
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

पँवारी लोकगीत   ♦   रचनाकार: अज्ञात

गाँव-गाँव का नाई बुलाओ रे भाई
मंगत की मर्दन होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
आठ घड़ा पानी तप रह्यो रे भाई
नव घड़ा समनऽ होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।
गाँवच गाँव की सखियाँ बुलाओ रे भाई
मंगत की आंग धोनी होय, रामा
बिजोड़ो दे रे भाई।।