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"गांधी के चित्र को देखकर / केदारनाथ अग्रवाल" के अवतरणों में अंतर
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दुख से दूर पहुँचकर गाँधी। | दुख से दूर पहुँचकर गाँधी। |
02:03, 21 मई 2011 के समय का अवतरण
दुख से दूर पहुँचकर गाँधी।
सुख से मौन खड़े हो
मरते-खपते इंसानों के
इस भारत में तुम्हीं बड़े हो
जीकर जीवन को अब जीना
नहीं सुलभ है हमको
मरकर जीवन को फिर जीना
सहज सुलभ है तुमको
रचनाकाल: ३०-०१-१९६८