भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

गामक खोज / रामलोचन ठाकुर

Kavita Kosh से
सशुल्क योगदानकर्ता २ (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 15:32, 4 जून 2013 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=रामलोचन ठाकुर |संग्रह= }} {{KKCatKavita‎}} {{KKCa...' के साथ नया पन्ना बनाया)

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

 
हमरो एकटा गाम छल
देशक बहुतो गाम सन
एकटा शिव मन्दिर
एकटा डीहबारक थान
एकटा सलहेलक गह्वर
एकटा मसजिद...
कतेको टोल
कतेको जाति-धर्मक संयोगसँ बनल
हमर गाम
हमरा सभक गाम छल।

हमरा गाममे
कोनो वीर दम्पतिक शास्त्रालाप नहि भेल छल
नहि भेल छलाह अवतरित
कोनो महापुरूष
आ जहाँधरि प्रश्न अछि
कविशेखराचार्य जोतिरीश्वर ठाकुरक
गाम अपरिचित छल

पसरमे जाइत चरवाहक पराती
आ साँझमे दूर नदी कातसँ
बाध-बोनासं भासल अबैत
चौमासा-बारहमासाक स्वर
आँगनसँ
ढेकी जांतक संगीतक संग
लगनीक स्वर
कहियो सोहर, कहियो समदाओन
कहियो तिरहुत, कहियो मलार
हमर गामक परिचिति छल

बरखामे विलम्ब देखि
गमैया पूजाक सँगोर
जट जटिन खेलेबामे व्यवस्त
महिला समाज
तजियाक संग
झड़नी पर झुमैत किशोर/तरूण दल
फगुआक अबीर
आ जूड़शीतलक कादो-मटिक संग
हमर गाम जीबैत छल
कोजागरीक पूर्णिमाक राति
नैसर्गिक सौन्दर्यक अवलोकन करैत
पान-मखान चिबबैत
कौड़ी भँजैत
आ जड़कालामे
घूर तर बैसि तमाकू चुनबैत
महराइ सुनैत सगर राति
हमर गाम जगैत छल

जोतला खेतमे
सामा चकेबाकें
भाव विह्वल विदा करैत
पुनि अगिला साल एबाक
आमंत्रण दैत हमर गाम अगुआइत छल

राति-विराति
कतौ कोनो आहट पाबि
लाठी-ठेंगा ल’ दौड़ब
कोम्हरो कने इजोत देखि
घैल बाल्टी ल’ दौड़ब
ककरो अरथीमे कान्ह देबाक लेल
बाले-बच्चे ढेंगरि जाएब
हमर गामक शक्ति छल

गामक नहि होइतहुँ
कोनो बहिरा देवान जी
वा मास्टर रामशरण महतो
अथवा गुरे जरे खाइ जोग
नीमन दही बेचनिहार
सतहत्तरि बर्खक बूढ़
रामलाल गोआरकें अपन बना लेनाइ
हमर गामक सौजन्य छल

हम ताकि रहल छी ओएह गाम
अपन गाम