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गाय और तुम / शैलजा नरहरि

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खूँटे से बँधी रहो
जितनी ज़रूरत है उतनी बड़ी रस्सी है

दुनिया बड़ी बदनाम है
बाहर तुम्हारा क्या काम है

तुम्हारे सींग हमने नहीं काटे हैं
काटने पर तुम बुरी लगोगी
ये सींग मारने के लिये नहीं हैं

रम्भाने की क्या ज़रूरत है
हम तुम्हें भूखा कहाँ रखते हैं

तुम्हारे रहने से आँगन की शोभा है
तुम्हारी तो पूजा होती है
जैसा पुजारी चाहेगा वैसी ही पूजा होगी

तुम हमारे देश में नारी का मापदण्ड हो
तुम्हारी जैसी औरत ही हिन्दुस्तानी होती है
ज़ियादा गड़बड़ करे तो कहानी होती है

यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते – रमन्ते तत्र देवता
ये हमने कहा ही तो है
कहने में क्या हर्ज़ है
ये तो हमारा फर्ज़ है