भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
गोपाष्टमी / चतुर्भुजदास
Kavita Kosh से
Cagopalchaturvedi (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:20, 20 जनवरी 2012 का अवतरण ('{{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=चतुर्भुजदास }} Category:पद <poem> गोबिंद चल...' के साथ नया पन्ना बनाया)
गोबिंद चले चरावन गैया ।
दिनो है रिषि आजु भलौ दिन कह्यौ है जसोदा मैया ॥
उबटि न्हवाइ बसन भुषन सजि बिप्रनि देत बधैया ।
करि सिर तिलकु आरती बारति, फ़ुनि-फ़ुनि लेति बलैया ॥
’चतुर्भुजदास’ छाक छीके सजि, सखिन सहित बलभैया ।
गिरिधर गवनत देखि अंक भर मुख चूम्यो व्रजरैया ॥