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"गो इशारों में हम बात कहते नहीं / डी .एम. मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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जानते हो कि पर्दे में रहते नहीं
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सामने है खड़ा कौन, परवा कहां
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गर क़लम हाथ में है तो डरते नहीं
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फट गये होंगे जूते , वो कमज़ोर थे
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हम मुसाफ़िर हैं रस्ते में रुकते नहीं
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सख़्त इतने नहीं हैं कि फ़ौलाद हों
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मोम बनकर मगर हम पिघलते नहीं
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रोज़ दर्शन करें लोग भगवान के
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हम बहुत ढूंढते , हमको दिखते नहीं
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आदमीयत जहां दफ़्न हो दोस्तो
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उस गली से कभी हम गुज़रते नहीं
 
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19:43, 12 सितम्बर 2023 के समय का अवतरण

गो इशारों में हम बात कहते नहीं
एहतियातन मगर शोर करते नहीं

हमको छुपने, छुपाने की आदत नहीं
जानते हो कि पर्दे में रहते नहीं

सामने है खड़ा कौन, परवा कहां
गर क़लम हाथ में है तो डरते नहीं

फट गये होंगे जूते , वो कमज़ोर थे
हम मुसाफ़िर हैं रस्ते में रुकते नहीं

सख़्त इतने नहीं हैं कि फ़ौलाद हों
मोम बनकर मगर हम पिघलते नहीं

रोज़ दर्शन करें लोग भगवान के
हम बहुत ढूंढते , हमको दिखते नहीं

आदमीयत जहां दफ़्न हो दोस्तो
उस गली से कभी हम गुज़रते नहीं