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"घन कुन्तल-मेघ घिरे / राजेन्द्र गौतम" के अवतरणों में अंतर

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ऐसी रस-धार बही  
 
ऐसी रस-धार बही  
 
मन डूबे, डूब तिरे  
 
मन डूबे, डूब तिरे  
चेतनता तन की हर
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                चेतनता तन की हर
रहा अन्धकार उतर  
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                रहा अन्धकार उतर  
 
अम्बर, भू-आँगन भर  
 
अम्बर, भू-आँगन भर  
 
यौवन की उठे लहर  
 
यौवन की उठे लहर  
 
ज्वार राग का उमडा  
 
ज्वार राग का उमडा  
 
बन्धन-तट टूट गिरे  
 
बन्धन-तट टूट गिरे  
रोम-रोम रोमांचित  
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                रोम-रोम रोमांचित  
तन्द्रिल, विश्लथ, कम्पित  
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                तन्द्रिल, विश्लथ, कम्पित  
हास-सुधा-उर-सिंचित  
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                हास-सुधा-उर-सिंचित  
 
हुए अधर-पुट कुंचित  
 
हुए अधर-पुट कुंचित  
 
दल के दल शतदल के  
 
दल के दल शतदल के  
 
आनन पर  आन फिरें  
 
आनन पर  आन फिरें  
जब कुन्तल-मेघ घिरे  
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                जब कुन्तल-मेघ घिरे  
घन कुन्तल-मेघ घिरे  
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                घन कुन्तल-मेघ घिरे  
 
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23:42, 1 जून 2014 के समय का अवतरण

दिंग्नूपुर झनक उठे
घन कुन्तल-मेघ घिरे
                 कब सुध-बुध क्षण-पल की
                 चम-चम-चम जब चमकी
                 चंचल-चंचल जल की
हीरक-सी छवि, छलकी
ऐसी रस-धार बही
मन डूबे, डूब तिरे
                 चेतनता तन की हर
                 रहा अन्धकार उतर
अम्बर, भू-आँगन भर
यौवन की उठे लहर
ज्वार राग का उमडा
बन्धन-तट टूट गिरे
                 रोम-रोम रोमांचित
                 तन्द्रिल, विश्लथ, कम्पित
                 हास-सुधा-उर-सिंचित
हुए अधर-पुट कुंचित
दल के दल शतदल के
आनन पर आन फिरें
                 जब कुन्तल-मेघ घिरे
                 घन कुन्तल-मेघ घिरे