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घर (1) / मदन गोपाल लढ़ा

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सपनों में होता है घर
या फिर
घर ही होता है
खुद एक सपना।

शुक्र है खुदा का
कि सपनों में
महज आकाँक्षा होती है
अवरोध नही,
तभी तो
बना लेता हूँ मैं
सपनों में
अतल
अटल
विराट महल।

गर सपने न होते
मैं जरूर बेघर होता।