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"घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है / सिराज फ़ैसल ख़ान" के अवतरणों में अंतर

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घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
 
घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है
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रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है
  
तुमको पत्थर मारेँगे सब रुसवा तुम हो जाओगे
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तुमको पत्थर मारेंगे सब रुसवा तुम हो जाओगे
मुझसे मिलने मत आओ मुझपे फतवा जारी है
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मुझसे मिलने मत आओ मुझपे फतवा जारी है
  
हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस मेँ सब भाई हैँ
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हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई हैं
इस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है
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इस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है
  
भारतवासी कुछ दिन से रूखी रोटी खाते हैँ
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सारी दुनिया तेरी है तू ही सब का रखवाला है
पानी पीकर जीते हैँ मँहगी सब तरकारी है
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मुसलमान का अल्लाह है और हिन्दू का गिरधारी है
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भारतवासी कुछ दिन से रुखी रोटी खाते हैं
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पानी पीकर जीते हैं मँहगी सब तरकारी है
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नया विधेयक लाओ कि बूढ़े अब आराम करें
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देश युवाओं को दे दो अब नए ख़ून की बारी है
  
 
जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा-फिरा कर बात करो
 
जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा-फिरा कर बात करो
केवल सच्ची बातेँ करना बहुत बड़ी बीमारी है
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केवल सच्ची बातें करना बहुत बड़ी बीमारी है
 
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17:17, 16 फ़रवरी 2011 के समय का अवतरण

घोटाले करने की शायद दिल्ली को बीमारी है
रपट लिखाने मत जाना तुम ये धंधा सरकारी है

तुमको पत्थर मारेंगे सब रुसवा तुम हो जाओगे
मुझसे मिलने मत आओ मुझपे फतवा जारी है

हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई आपस में सब भाई हैं
इस चक्कर मेँ मत पड़िएगा ये दावा अख़बारी है

सारी दुनिया तेरी है तू ही सब का रखवाला है
मुसलमान का अल्लाह है और हिन्दू का गिरधारी है

भारतवासी कुछ दिन से रुखी रोटी खाते हैं
पानी पीकर जीते हैं मँहगी सब तरकारी है

नया विधेयक लाओ कि बूढ़े अब आराम करें
देश युवाओं को दे दो अब नए ख़ून की बारी है

जीना है तो झूठ भी बोलो घुमा-फिरा कर बात करो
केवल सच्ची बातें करना बहुत बड़ी बीमारी है