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"चंद और शेर / फ़ानी बदायूनी" के अवतरणों में अंतर

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(नया पृष्ठ: निगहे-क़हर ख़ास है मुझपर। यह तो अहसाँ हुआ सितम न हुआ॥ अब करम है त...)
 
 
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यह तो अहसाँ हुआ सितम न हुआ॥
 
यह तो अहसाँ हुआ सितम न हुआ॥

18:47, 7 जुलाई 2009 के समय का अवतरण

निगहे-क़हर ख़ास है मुझपर।

यह तो अहसाँ हुआ सितम न हुआ॥


अब करम है तो यह मिला है मुझे।

कि मुझी पर तेरा करम न हुआ।।


गुल में वो अब नहीं है जो आलम था खार का।

अल्लाह क्या हुआ वो ज़माना बहार का॥


उसको भूले हुए तो हो ‘फ़ानी’।

क्या करोगे अगर वोह याद आया॥


बा-खबर है वोह सबकी हालत से।

लाओ हम पूछ लें न हाल अपना॥