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'''चन्दन वन'''अपनों ने जलायाबचे थे ठूँठथोड़ी- सी थी खुशबूकिसी कोने मेंआखिरी साँस लेती,कोई आ गयाधूप में छाया बनप्राणपण सेमन व प्राणों पर खुशबू बनप्यार बन ,छा गयाजो कुछ बचावह उसी का रचाउसी का रूप सर्दी की वह धूपऔर न कोई '''केवल तुम्हीं तो होमेरी जीवन - आशा।'''-0-
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