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चलो चलें मन सपनो के गाँव में / प्रदीप

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चलो चलें माँ सपनो के गाँव में
काँटों से दूर कहीं फूलों की छाँव में
चलो चलें माँ..

हो रहे इशारे रेशमी घटाओं में
चलो चलें माँ...

आओ चलें हम एक साथ वहां
दुःख ना जहाँ कोई गम ना जहाँ
आज है निमंत्रण सन सन हवाओं में
चलो चलें माँ...

रहना मेरे संग में हर दम
ऐसा ना हो के बिछड़ जायें हम
घूमना है हमको दूर की दिशाओं में

चलो चलें मन सपनो के गाँव में
काँटों से दूर कहीं फूलों की छाँव में
चलो चलें माँ...