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चाँदनी में दूर कहीं / फ़ेर्नान्दो पेस्सोआ

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चाँदनी में दूर कहीं
नदी पर एक किश्ती
चुपचाप तैरती हुई ।
कौन-सा रहस्य खोलती है ?

नहीं जानता मैं, मगर मेरे
भीतर के जीव को अचानक
अजीब-सा लगने लगता है,
और मैं सपने देखता हूँ
बिना उन सपनों को देखे
जो मैं देख रहा हूँ ।

क्या है यह वेदना
जो घेर लेती है मुझे ?
क्या है यह प्यार
जो मैं समझा नहीं पाता ?
वह किश्ती है जो आगे बढ़ जाती है
इस रात मैं जो यहीं रह जाती है ।