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चाँद तारे मिले, जगमगाते गगन / अवधेश्वर प्रसाद सिंह
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चाँद तारे मिले, जगमगाते गगन।
दो दिलों का यहाँ, हो रहा है मिलन।।
रात रानी सजी, सज गया आसमाँ।
बादलों को उड़ा, ले गया है पवन।।
रूप मस्ती भरा, प्रेम को देखिये।
मालिका कर लिये, वर खड़ा है मगन।।
द्वार दुल्हन खड़ी, हर तरह से सजी.
दो दिलों का मिलन खुद मगन है चमन।।
मंडपे शोभते, हर लड़ीं फुलझड़ी।
नाचती गोपियाँ पर नहीं है थकन।।
फूल बरसा रही देवियाँ मिल सभी।
खुद विधाता खड़े, दे रहे शुभ वचन।।