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"चांद तन्हा है आसमां तन्हा / मीना कुमारी" के अवतरणों में अंतर
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('दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा' इस मिसरे में 'कहाँ' क़ाफ़िया है और 'तन्हा' रदीफ़) |
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ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं, | ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं, | ||
− | + | जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा | |
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी, | हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी, | ||
− | दोनों चलते रहें | + | दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा |
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे, | जलती-बुझती-सी रोशनी के परे, | ||
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा | सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा | ||
− | राह देखा करेगा | + | राह देखा करेगा सदियों तक |
− | छोड़ | + | छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा। |
08:00, 17 दिसम्बर 2009 का अवतरण
चाँद तन्हा है आसमाँ तन्हा,
दिल मिला है कहाँ-कहाँ तन्हा
बुझ गई आस, छुप गया तारा,
थरथराता रहा धुआँ तन्हा
ज़िन्दगी क्या इसी को कहते हैं,
जिस्म तन्हा है और जाँ तन्हा
हमसफ़र कोई गर मिले भी कभी,
दोनों चलते रहें कहाँ तन्हा
जलती-बुझती-सी रोशनी के परे,
सिमटा-सिमटा-सा एक मकाँ तन्हा
राह देखा करेगा सदियों तक
छोड़ जाएँगे ये जहाँ तन्हा।