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"चांद : दो / सांवर दइया" के अवतरणों में अंतर

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<poem>तदूर में काढियोड़ी
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तदूर में काढियोड़ी
 
सांतरी सिक्योड़ी रोटी
 
सांतरी सिक्योड़ी रोटी
 
ऊपर क्यूं उछाळ दी
 
ऊपर क्यूं उछाळ दी

22:50, 25 नवम्बर 2010 का अवतरण

तदूर में काढियोड़ी
सांतरी सिक्योड़ी रोटी
ऊपर क्यूं उछाळ दी
रे मरज्याणा !

थारो कांई
तूं तो धायोड़ो गोधो है
म्हारै भूखै टाबर कानी तो
देख्यो हुतो
रे मरज्याणा !