भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए

चित्र / तुलसी रमण

Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 00:37, 15 जनवरी 2009 का अवतरण

(अंतर) ← पुराना अवतरण | वर्तमान अवतरण (अंतर) | नया अवतरण → (अंतर)
यहाँ जाएँ: भ्रमण, खोज

सड़क किनारे
ढेर सारे चित्र सजाकर
बैठा है चित्र बेचने वाला
ज्वाला प्रसाद जी आए
राम, कृष्ण और शिव-पार्वती को ले लिया
एन्थनी ने
सूली पर लटके हुए
ईसा को खरीदा
लखन सिंह ने गुरुनानक को ढूंढ निकाला
और बुद्ध को लपेट लिया
गेरुए में लामा जी ने
इस बीच टपक पड़ा एक
गुमनाम आदमी
भगवानों के ढेर को
उलट-पलट कर उसने
हंसते खूबसूरत बच्चों
पेड़ पर तिनका-तिनका
घोसला बुनती चिड़ियों
बर्फ से ढके पहाड़ों और
        कुछ `सितारों’ के
चित्र निकाल लिए

देखते ही देखते
       ये सारे चित्र बिक गए