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फिर गये देख के मुँह ख़ंज़रे-मिज़गाँ<ref>भवों के ख़ंजर</ref>मुझको
सैर करता है ख़याल उसकी निगाह निगह का जीधर<ref>जिधर</ref>
नज़र आते हैं उधर गंजे-शहीदाँ<ref>शहीदों के ढेर</ref> मुझको
पर कभू मैं न कहा उससे कि दौराँ<ref>ऐ ज़माने</ref>, मुझको
किसकी मिल्लत में गिनूँ मैं आपको बतला ऐ शैख़तू मुझे गब्र<ref>क़ाफ़िर</ref> कहे, गब्र कहे मुसलमाँ मुझको
रेख़्ता<ref>पुरानी उर्दू</ref> और भी दुनिया में रहे ऐ 'सौदा'