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"छोटी-सी अँजुरी में / रामेश्वर काम्बोज 'हिमांशु'" के अवतरणों में अंतर

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का उजियार भरें ।
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धरती से निकलें
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मुस्कानों की कोंपल,
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संकल्पों के शतदल।
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नित सिंगार करें।
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महलों में घुटता
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व्याकुल मन का,
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मिल जाए बस
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कोई कोना
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हमको निर्जन वन का।
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सुख दे दें
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जग को
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          जीभर प्यार करें ।
  
  
 
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22:46, 22 दिसम्बर 2022 के समय का अवतरण

छोटी-सी
अँजुरी में हम
सारा आकाश भरें ।
पोर -पोर में
सौ-सौ सूरज-
 का उजियार भरें ।

आँसू की
धरती से निकलें
मुस्कानों की कोंपल,
अंगारों की
खिलें गोद में
संकल्पों के शतदल।
पलक-कोर पर
धूप-चाँदनी
नित सिंगार करें।

बन्धन के
महलों में घुटता
पाखी
व्याकुल मन का,
मिल जाए बस
कोई कोना
हमको निर्जन वन का।

जितना हो
सुख दे दें
जग को
          जीभर प्यार करें ।